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Dr.Atindra Sarvadikar

Singer   Composer   Researcher 

Author   Poet   Guru

Brief Introduction

  • Dr Atindra Sarvadikar is one of the notable singers of the country today. Apart from being a live stage performer, he is also a music composer, author, researcher and educationist. His early music education was done by his mother Mrs. Vrinda Sarvadikar and Pt. Dattusingh Gaherwar. After that, he has got the privilege of being a disciple of Swarayogini Padmavibhushan Dr Prabha Atre ji in the guru-shishya tradition for the last twenty years. He also has the distinction of being the first doctorate degree in music awarded by the University of Mumbai. Along with classical music, he has equal command on the many musical genres like Thumri, Dadra, Geet, Ghazal, Bhakti Sangeet, and Fusion. Dr Atindra Sarvadikar has given an excellent presentation of his musical calibre on many prestigious forums in the country and abroad. These include world-famous festivals like Sawai Gandharva Mahotsav Kundgol, India Festival London, Saptak Mahotsav Ahmedabad, National Music Conference Calcutta, Orissa state Festival of music, Purab Ang Thumri Mahotsav Banaras, NCPA Mumbai, Pulotsav Pune etc. 28 state level and national level first prizes in various music competitions in school and college life, Scholarship to the outstanding young artists from the ministry of culture government of India, Pandit Bhimsen Joshi Scholarship, Dr Vasantrao Deshpande Memorial Scholarship, national level scholarship from Dadar-Matunga Cultural Center for two consecutive years etc. He is a graded artist of All India Radio. His songs sung in Marathi-Hindi as well as Tamil languages ​​are available everywhere today through various media and are especially popular among today's young generation. For his creative endeavours, he has been honoured with many prestigious awards at the national and international level, including National Ustad Allauddin Khan Award, State level Balgandharva Sanman 2023, Kalasadhana Award, Padma Shri Kavivarya Da Ra Bendre Award, Kalaratna Award, Sawai Gandharva's Daughter Pramilabai Deshpande Memorial Award etc.

  • Dr Atindra Saravdikar has published two books on music, Kirana Gharana Parampara and Pravaha and Madhyanhichya Maifli. Currently, he is also working as a professor in the music department of Mumbai University. He has also composed many new musical compositions in classical and light music along with nearly three hundred bandhish-es of Raagdari music which are on the way to publication.

  • डॉ अतींद्र सरवडीकर देश के आज के उल्लेखनीय गायकों में से एक हैं। प्रत्यक्ष मंच प्रस्तुति के साथ-साथ वे संगीत रचनाकार, लेखक, शोधकर्ता और शिक्षा के क्षेत्र में भी प्रसिद्ध हैं। उनकी प्रारंभिक संगीत शिक्षा उनकी माता श्रीमती वृंदा सरवडीकर और पं. दत्तूसिंह गहेरवार से हुई। तत्पश्चात उन्हें पिछले बीस वर्षों से गुरु-शिष्य परंपरा में स्वरयोगिनी पद्मविभूषण डॉ. प्रभा अत्रे जी का शिष्य होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। उन्हें मुंबई विश्वविद्यालय द्वारा प्रदान की संगीत विषय की सबसे पहली डॉक्टरेट उपाधी प्राप्त होने का गौरव भी प्राप्त है।  शास्त्रीय संगीत के साथ-साथ ठुमरी, दादरा, गीत, गजल, भक्ति संगीत, फ्यूजन जैसे अनेक संगीत विधाओंपर इनका समान अधिकार है तथा देश-विदेश के अनेक प्रतिष्ठित मंचों पर डॉ अतींद्र सरवडीकर ने अपनी संगीत साधना का अभूतपूर्व परिचय दिया है। इनमें सवाई गंधर्व महोत्सव कुंदगोल, इंडिया फेस्टिवल लंदन, सप्तक महोत्सव अहमदाबाद, राष्ट्रीय संगीत परिषद कलकत्ता, पूरब अंग ठुमरी महोत्सव बनारस, एनसीपीए मुंबई, पुलोत्सव पुणे जैसे विश्व प्रसिद्ध उत्सव शामिल हैं। स्कूल और कॉलेज जीवन में विभिन्न संगीत प्रतियोगिताओं में २८ राज्य स्तर और राष्ट्रीय स्तर के प्रथम पुरस्कार, भारत सरकार विशेष योग्यता राष्ट्रीय छात्रवृत्ति, पंडित भीमसेन जोशी छात्रवृत्ति, डॉ वसंतराव देशपांडे मेमोरियल छात्रवृत्ति, दादर-माटुंगा सांस्कृतिक केंद्र से लगातार दो वर्ष प्रदान हुईं राष्ट्रिय स्तरीय छात्रवृत्ति, मुंबई आकाशवाणी की उच्च श्रेणी अर्हता जैसे कई सम्मान आप को प्राप्त हैं। मराठी-हिंदी के साथ-साथ तमिल भाषाओं में गाए गए उनके गीत आज हर जगह विभिन्न मीडिया के माध्यम से उपलब्ध हैं और आज की युवा पीढ़ी के बीच विशेष रूप से लोकप्रिय हैं। अपनी निर्मितीक्षम प्रतिभा के लिये उन्हें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है जिनमें राष्ट्रीय उस्ताद अलाउद्दीन खान पुरस्कार, राज्यस्तरीय बालगंधर्व सन्मान 2023कलासाधना पुरस्कार, पद्मश्री कविवर्य दा रा बेंद्रे पुरस्कार, कलारत्न पुरस्कारसवाई गंधर्व कन्या प्रमिलाबाई देशपांडे स्मृती पुरस्कार आदि शामिल हैं। डॉ अतींद्र सरवडीकर ने संगीत पर दो पुस्तकें प्रकाशित की हैं, किराना घराना परम्परा और प्रवाह और मध्यान्हीच्या मैफली यह कथा संग्रह । वर्तमान में, अतींद्र जी मुंबई विश्वविद्यालय के संगीत विभाग में प्रोफेसर के रूप में भी कार्यरत हैं। उन्होंने रागदारी संगीत की लगभग तीन सौ बंदिशो के साथ-साथ सुगम संगीत की कई नई संगीत रचनाएँ भी रची हैं, जो जल्द ही पुस्तक रूप में भी प्रकाशित होगी ।

 

  • डॉ अतिंद्र सरवडीकर आजच्या युवा पिढीमधील देश पातळीवरील उल्लेखनीय गायक कलाकार आहेत. प्रत्यक्ष मंचप्रस्तुती बरोबरच नव्या संगीत रचना करणं, लेखन, काव्य, संशोधन तसेच गुरू म्हणूनही ख्यातिप्राप्त आहेत. त्यांचे सुरूवातीचे संगीत शिक्षण आई श्रीमती वृंदा सरवडीकर व पं दत्तूसिंह गहेरवार यांच्या कडे झाले. त्यानंतर स्वरयोगिनी पद्मविभूषण डॉ प्रभा अत्रे यांच्याकडून गुरु-शिष्य परंपरेने मागील जवळपास वीस वर्षे त्यांना तालीम मिळालेली आहे. मुंबई विद्यापीठानं प्रदान केलेली सगळ्यात पहिली संगीत विषयातली डॉक्टरेट पदवी प्राप्त करण्याचा बहुमान ही त्यांना प्राप्त आहे. 

  •  शास्त्रीय संगीताबरोबरच, ठुमरी, दादरा, गीत, गझल, भक्तिसंगीत, फ्युजन अश्या अनेक प्रांतात त्यांचा संचार असतो. देश विदेशातल्या अनेक प्रतिष्ठित व्यासपीठांवर डॉ अतिंद्र सरवडीकर यांनी आपल्या संगीत साधनेचा अभूतपूर्व परिचय दिलेला आहे. यामध्ये सवाई गंधर्व समारोह कुंदगोळ, इंडिया फेस्टिवल लंडन, सप्तक समारोह अहमदाबाद, राष्ट्रीय संगीत परिषद कलकत्ता, ओरिसा राज्य संगीत समारोह, पूरब अंग ठुमरी महोत्सव बनारस, एनसीपीए मुंबई, पुलोत्सव पुणे यांसारख्या जगविख्यात समारोहांचा समावेश आहे. शालेय व कॉलेज जीवनात विविध संगीत स्पर्धांमध्ये मिळालेले २८ राज्यस्तरीय व देशपातळीवरील पुरस्कार, भारत सरकारची विशेष गुणवत्ता राष्ट्रीय शिष्यवृत्ती, पंडित भीमसेन जोशी शिष्यवृत्ती, डॉ वसंतराव देशपांडे स्मृती शिष्यवृत्ती, दादर-माटुंगा कल्चरल सेंटर कडून सलग दोन वेळा मिळालेली शिष्यवृत्ती यांसारख्या संगीत विषयक राष्ट्रीय पातळीवरील शिष्यवृत्या, मुंबई आकाशवाणीची उच्च श्रेणीची अर्हता असे अनेक सन्मान त्यांना प्राप्त आहेत. मराठी - हिंदी बरोबरच तामिळ भाषेत गायलेली त्यांची गाणी विविध माध्यमांतून आज सर्वत्र उपलब्ध आहेत आणि आजच्या युवा पिढीत विशेष लोकप्रिय ठरली आहेत. राष्ट्रीय व आंतरराष्ट्रीय पातळीवरील अनेक प्रतिष्ठित पुरस्कारांनी त्यांना सन्मानित करण्यात आलं आहे ज्यामध्ये राष्ट्रीय उस्ताद अल्लाउद्दीन खाँ पुरस्कार, राज्यस्तरीय बालगंधर्व सन्मान 2023, कलासाधना पुरस्कार, पद्मश्री कविवर्य द रा बेंद्रे पुरस्कार, कलारत्न पुरस्कार, सवाई गंधर्वांच्या कन्या प्रमिलाबाई देशपांडे स्मृती पुरस्कार इत्यादींचा समावेश आहे. डॉ अतिंद्र सरवडीकर यांनी लिहिलेली किराणा घराणे परंपरा आणि प्रवाह तसेच मध्यान्हीच्या मैफली ही दोन संगीत विषयक पुस्तके प्रकाशित आहेत. सध्या मुंबई विद्यापीठाच्या संगीत विभागात प्राध्यापक म्हणूनही ते कार्यरत आहेत. अनेक नवीन संगीत रचनाही त्यांनी केलेल्या आहेत ज्यामध्ये सुगम संगीताबरोबरच रागदारी संगीताच्या जवळपास तीनशे बंदिशींचा समावेश आहे ज्या प्रकाशनाच्या मार्गावर आहेत.

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